Friday 19 June 2020

कंपोजिट फिश कल्चर क्या है ? और केसे ज्यादा सहायक है मछलियों के विकास मैं


प्रियमत्स्य बंधुओं
अनुसंधान में पाया गया है कि पांच-छह फीट की गहराई में मछलियां सबसे अधिक तेजी से बढ़ती हैं क्योंकि सूर्य की किरणों के जल से छन-छन कर पहुंचने के कारण इस गहराई तक प्लैंक्टन पाई जाती है। पानी के अलग-अलग स्तरों पर प्लैंक्टन की मात्रा में अंतर होता है। ऊपरी स्तर पर सूर्य किरणों की अधिक उपलब्धता के कारण कुल प्लैंक्टन का लगभग 60 प्रतिशत होता है जबकि मध्य और निचले स्तर पर 20-20 प्रतिशत प्लैंक्टन होता है। सभी मछलियां अलग-अलग स्तर में भोजन तलाशती हैं। कॉमन कॉर्प और कतला ऊपरी स्तर में, ग्रासकॉर्प और रेहू मध्य स्तर में और सिल्वर कॉर्प और नैनी निचले स्तर में अधिक भोजन तलाशती हैं। तालाब के विभिन्न स्तरों के भोज्य पदार्थों का पूरा दोहन करने के लिए कंपोजिट फिश कल्चर पर जोर दिया जाता है। तीन देसी मछली कतला, रेहू और नैनी और तीन विदेशी मछली कॉमन कॉर्प, ग्रास कार्प और सिल्वर कॉर्प एक साथ मिला कर डाली जाती हैं।

चारे का उपयोग क्यों है सीमित


प्रदेश के अधिकतर मछलीपालक तालाब में जियरा डाल देते हैं लेकिन पैसे की कमी के कारण चारा खरीदने की स्थिति में नहीं रहते हैें। चारा नहीं डालने के कारण मछलीपालकों को बहुत नुकसान हो रहा है। आंध्र प्रदेश में कृत्रिम चारा के बल पर 4-5 टन प्रति हेक्टेयर मछली उत्पादन होता है जबकि बिहार में मात्र 0.8-1.0 टन प्रति हेक्टेयर। नई तकनीक से यहां भी 4-5 टन प्रति हेक्टेयर का उत्पादन किया जा सकता है और वह भी बिना अतिरिक्त खर्च।

किसी भी गोबर का इस्तेमाल 

मछलियों के चारे के रूप में गाय-भैंस समेत किसी भी जानवर का गोबर इस्तेमाल किया जा सकता है। गाय और भैंस के गोबर को सीधे तालाब में डाल दिया जाता है जबकि बकरी के मल का चूरन बना कर उसमें डालना पड़ता है क्योंकि कड़ा होने के कारण यह पानी में जल्द घुलता नहीं है।
मछलियों के पानी में मिलने वाले पोषक तत्वों पर पलने की बात तो सभी जानते हैं लेकिन गोबर पर भी मछलियां पल सकती हैं। इसे मुमकिन बनाया है इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च ((आईसीएआर)) के वैज्ञानिकों ने। उनके अनुसंधान से यह साबित हो गया है कि गोबर में मौजूद तत्व भी उसी तरह से मछलियों के ग्रोथ को बढ़ा सकता है। आईसीएआर ने गोबर से मछलियों का देसी खाद्य पदार्थ तैयार किया है।
वीरेश त्रिपाठी
प्रतापगढ़ – उत्तर प्रदेश
८००५०७५०००

Tuesday 26 May 2020

प्रधान मंत्री मत्स्य सम्पदा योजना


सरकार ने एक मजबूत मत्स्य प्रबंधन ढांचा स्थापित करने और मूल्य श्रृंखला में अंतराल की जांच करने के लिए प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (PMMSY) का प्रस्ताव रखा।

 योजना के उद्देश्य:

मत्स्य पालन विभाग द्वारा प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (PMMSY)के माध्यम से एक मजबूत मत्स्य प्रबंधन ढांचा स्थापित किया जाएगा।
मूल्य श्रृंखला में बुनियादी ढाँचे, आधुनिकीकरण, पता लगाने की क्षमता, उत्पादन, उत्पादकता, कटाई के बाद प्रबंधन, और गुणवत्ता नियंत्रण सहित महत्वपूर्ण अंतराल को संबोधित करना, इस योजना का उद्देश्य है।

मत्स्य संपादन में भारत:

भारत 47,000 करोड़ रुपये से अधिक के निर्यात के साथ दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मत्स्य उत्पादक है।
मत्स्य और जलीय कृषि उत्पादन भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में लगभग 1% का और कृषि GDP में 5% से अधिक का योगदान देते हैं।
खाद्य और कृषि संगठन (FAO) की रिपोर्ट स्टेट ऑफ वर्ल्ड फिशरीज एंड एक्वाकल्चर 2018” के अनुसार [2013-15]के बीच भारत में प्रति व्यक्ति मछली की खपत का औसत 5 से 10 किलोग्राम के रहा है।
पिछले पांच वर्षों में 6 से 10 प्रतिशत की वृद्धि दर के साथ मत्स्य पालन देश का सबसे बड़ा कृषि निर्यात है।
इसका महत्व इस तथ्य से रेखांकित किया गया है कि इसी अवधि में कृषि क्षेत्र की विकास दर लगभग5 प्रतिशत रही है।
भारत की लंबी तटरेखा में अर्थव्यवस्था की ताकत बनने की एक क्षमता है, विशेष रूप से ब्लू अर्थव्यवस्था (Blue Economy)के उपयोग के माध्यम से, जिससे तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की बड़ी संख्या के लिए बेहतर मानक और जीवन स्तर सुनिश्चित हो सके।
सागरमाला कार्यक्रम में हमारे प्रयासों को बढ़ाया जाएगा और हम अन्य अंतर्देशीय जलमार्गों को तेजी से विकसित करेंगे।
नीली क्रान्तिमिशन का उद्देश्य किसानों की आय को दोगुना करना है और पिछले साढ़े चार वर्षों में 1915.33 करोड़ रूपये नीली क्रान्ति (Blue Revolution) योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए जारी किये गए हैं।

नीली क्रांति योजना के बारे में:

केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई नीली क्रांति, मछुआरों और मछली किसानों के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए, मत्स्य पालन के एकीकृत और समग्र विकास और प्रबंधन के लिए, एक सक्षम वातावरण बनाने पर केंद्रित है।
इस योजना का लक्ष्य मछली उत्पादन को 2015-16 में 107.95 लाख टन से बढ़ाकर वित्तीय वर्ष 2019-20 के अंत तक लगभग 150 लाख टन करना है।
इससे निर्यात आय में वृद्धि होने के साथ मछुआरों और मछली किसानों के लाभ में वृद्धि पर ध्यान देने और उनकी आय दोगुनी करने के लक्ष्य को प्राप्त करने की उम्मीद है।
सरकार ने नीली क्रांति को हासिल करने के लिए मिशन फिंगरलिंगकी शुरुआत की है।
देश में मछली बीज के विनिर्माण को मजबूत करने के लिए सरकार ने देश के 20 राज्यों की पहचान की है, ये राज्य अपनी क्षमता और अन्य कारकों के आधार पर केंद्र में आए हैं|
यह कार्यक्रम मछली उत्पादन सुनिश्चित करने के लिए अंडज उत्पत्तिशाला (Hatcheries) और फिंगरलिंग (मछली के बच्चे) पालन तालाब की स्थापना की सुविधा प्रदान करेगा।

 अधिक जानकारी के लिए निचे
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